Jai Peerian Di ---- Bol Sache Darwar Ki Jai

Bulleh Nu Samjhavan Aaiyan - Kaafi BABA BULLEH SHAH

बुल्हे नूं समझावण आइयां

Kaafi - Baba Bulle Shah Ji

बुल्हे नूं समझावण आइयां,
भैणा ते भरजाइयां| टेक|

"मन्न लै बुल्ल्हिआ साडा कहणा,
छड दे पल्ला राइयां,
आल नबी औलादि अली नूं,
तूं क्यों लीकां लाइयां?"

"जेह्ड़ा सानूं, सैयद आखे,
दोज़ख मिले सज़ाइयां,
जो कोई सानूं राईं आखे,
भिश्तीं पींघां पाइयां|"

राईं साईं समनीं थाईं,
रब दियां बेपरवाहियां,
सोह्णियां परे हटाइयां,
ते कोझियां लै गल लाइयां|

जे तूं लोड़े बाग़ बहारां,
चाकर हो जा राइयां,
बुल्ल्हे शाह दी ज़ात की पुछणैं,
शाकिर हो रज़ाइयां|

बुल्ले को समझाने आईं

बुल्लेशाह सैयद जाति के थे और उनके मुर्शिद (सद्गुरु) इनायत शाह अराईं जाति के| बुल्ले के उच्च कुल के लोग नाराज़ थे कि कुलीन बुल्लेशाह निम्न-जाति के व्यक्ति का मुरीद हो, इसलिए बहनें और भावजें बुल्लेशाह को समझाने आईं और कहने लगीं :

"अरे बुल्लेशाह, हमारा कहना मान लो और सब्ज़ी उगाने, खेती करने वाले इस अराईं का साथ छोड़ दो| तुम तो नबी के कुटुम्ब से हो, अली के वंशज हो| अपनी इस ज़िद से क्यों उनकी परनिन्दा का कारण बनते हो?"

बुल्लेशाह ने उत्तर में कहा कि जो हमें सैयद कहेगा, उस्से दोज़ख़ की सज़ा मिलेगी और जो हमें अराईं कहेगा, वह बहिश्त में झूला झूलेगा|

भगवान कितना बेपरवाह है कि अब तो मुझे सब जगह अराईं ही अराईं नज़र आता है, ऐसा लगता है कि भगवान ने सुन्दरियों को परे हटाकर असुन्दरियों को गले लगा लिया है|

यदि तुम्हें प्रभु-प्राप्ति के आनन्द की इच्छा हो, तो मुर्शिद अराईं का सेवक हो जा| अरे भाई, गुरु का शिष्य हो जाने पर बुल्लेशाह की जाति क्यों पूछते हो? वह तो शाकिर (सब्र-शुक्र करने वाला) है और ख़ुदा की रज़ा (ख़ुदा की मर्ज़ी) में राज़ी है|

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